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समाज सेवा आत्मबल से होती है, सत्ता से नहीं: एडवोकेट पूजा गुप्ता

इस खबर के स्पोंसर है सॉफ्टनिक इंडिया, शाही मार्केट, गोलघर, गोरखपुर


इस विशेष कार्यक्रम में हमारे साथ मौजूद रहीं एडवोकेट पूजा गुप्ता, जो एक जानी-मानी समाजसेविका हैं। कार्यक्रम के दौरान समाज सेवा, महिला सुरक्षा, पुरुष उत्पीड़न, सरकारी योजनाओं और पत्रकारिता जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर विस्तार से चर्चा की गई।

कार्यक्रम की शुरुआत में पूजा गुप्ता ने समाज सेवा को लेकर अपनी सोच साझा करते हुए कहा कि समाज सेवा किसी पद, सत्ता या ताकत की मोहताज नहीं होती।

“समाज की सच्ची सेवा के लिए आत्मविश्वास और आत्मबल ही सबसे बड़ा साधन है।”

कोलकाता से गोरखपुर तक का सफर

उन्होंने बताया कि उनकी प्रारंभिक शिक्षा कोलकाता, पश्चिम बंगाल से हुई। वहीं से उन्होंने हिंदी और अंग्रेज़ी साहित्य में स्नातकोत्तर तथा मास कम्युनिकेशन एवं जर्नलिज्म में शिक्षा प्राप्त की। विवाह के बाद गोरखपुर आने के बाद उन्होंने अधिवक्ता के रूप में सिविल कोर्ट में पिछले आठ वर्षों से सेवाएं दीं।

इसी के साथ उन्होंने समाज सेवा को भी आगे बढ़ाया और शक्ति सेतु वेलफेयर फाउंडेशन के माध्यम से महिलाओं और बच्चों के लिए लगातार कार्य कर रही हैं।

क्या सिर्फ महिलाएं ही पीड़ित हैं?

कोर्ट के अनुभव साझा करते हुए पूजा गुप्ता ने कहा कि आज के समय में केवल महिलाएं ही नहीं, बल्कि कई मामलों में पुरुष भी मानसिक और सामाजिक रूप से प्रताड़ित हो रहे हैं।
उन्होंने राष्ट्रीय पुरुष आयोग की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि:

“समाज में महिला और पुरुष गाड़ी के दो पहिए हैं, एक के बिना दूसरा अधूरा है।”

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह बात सभी महिलाओं पर लागू नहीं होती, लेकिन कुछ मामलों में कानून का दुरुपयोग भी देखने को मिलता है।

महिला सुरक्षा पर सरकार का फोकस

महिला सुरक्षा पर बात करते हुए उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार की विभिन्न योजनाओं का उल्लेख किया। उज्ज्वला योजना, सुमंगला योजना, सामूहिक विवाह योजना, मातृ वंदन योजना, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ और मिशन शक्ति अभियान को उन्होंने महिला सशक्तिकरण की दिशा में अहम कदम बताया।

उन्होंने कहा कि आज महिलाएं देर रात नौकरी कर सुरक्षित घर लौट पा रही हैं, जो प्रशासन, पुलिस और सरकार के समन्वित प्रयासों का परिणाम है।

नाइट शिफ्ट और कामकाजी महिलाओं की सुरक्षा

पूजा गुप्ता ने बताया कि नाइट शिफ्ट करने वाली महिलाओं के लिए कंपनियों को यह अनिवार्य किया गया है कि वे महिला कर्मचारियों को सुरक्षित रूप से घर तक छोड़ें। साथ ही 1091 और 1098 जैसे हेल्पलाइन नंबर 24×7 सक्रिय हैं।

महिला पत्रकारों की सुरक्षा पर सवाल

गोरखपुर में महिला पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि:

“मैंने स्वयं देखा है कि प्रेस वार्ताओं और भीड़भाड़ वाले आयोजनों में महिला पत्रकारों को पूरा सम्मान और स्थान दिया जाता है।”

उन्होंने इसे समाज में बढ़ते सिविल सेंस का सकारात्मक उदाहरण बताया।

स्वास्थ्य जागरूकता भी उतनी ही जरूरी

पूजा गुप्ता ने कहा कि सुरक्षा के साथ-साथ महिलाओं की स्वास्थ्य जागरूकता भी जरूरी है। मासिक धर्म स्वच्छता, महिला बंदियों के लिए जागरूकता कार्यक्रम और स्वास्थ्य शिविरों पर उनके संगठन द्वारा लगातार काम किया जा रहा है।

छोटे शहरों से बड़े अवसर

उन्होंने कहा कि गोरखपुर जैसे शहर अब विकास के पथ पर हैं। यहां से पढ़कर बाहर जाने वाले युवा अनुभव लेकर वापस लौट रहे हैं, जिससे स्थानीय पत्रकारिता और सामाजिक चेतना को मजबूती मिल रही है।

समाज के नाम संदेश

कार्यक्रम के अंत में पूजा गुप्ता ने समाज के सभी वर्गों से अपील करते हुए कहा:

“लोकतंत्र में असहमति ज़रूरी है, लेकिन सकारात्मक तरीके से। समाज, सरकार और नागरिक—तीनों मिलकर ही विकास संभव है।”

उन्होंने सभी को एकजुट होकर समाज के विकास में योगदान देने का संदेश दिया।

Support India to emerge as a knowledge society by identifying and nurturing the inner strength of youth and rural people, so that India can be transformed into a developed nation..

Er. Shakti Shankar Singh (Chief Editor)

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